Sunday 17 November 2013

एक बेटी की चिट्ठी घरवालों के नाम

"माँ! पहली बार मैं जब रोई थी तब तुमने मेरे आँखों से आँसू और नाक का पानी आपने साफ़ किया था. ये कहीं नही था.

भैया! खड़े होने के चाहत में पलंग का सहारा लेते हुए जब मैं गिर गयी थी तब आपने मुझे सम्भाला था. गोद में ले लिया था और मुझे अपने खिलौने दे दिए थे. इसको क्या पता मुझे क्या हुआ?

दीदी! अक्सर हमारे बिच अपने खिलोने के लिए झगडे होते थे लेकिन इस से पहले कि मैं हार कर रोने लागूं, आप अपने सारे खिलौने मेरे सामने रख देती. ये तो अपनी दुनिया में मस्त था. 

पापा! जब स्कुल जाने कि ऊमर हुई तो आपकी अंगुली पकड़ के मैं स्कुल जाने लगी. क्लास रूम में बैठे बैठे मुझे माँ की बहुत याद आती. मैं रोने लगती. छुट्टी होती. मैं दौड़ के क्लास के बाहर निकलती. इसकी परछाई भी आस पास नही दिखती. 

चाचा! एक दिन भी ऐसा नही हुआ कि बाहर आने पे आप मेरा इन्तजार न कर रहे होते. मुझे तो मालूम भी नहीं था इस लड़के का कहीं कोई वजूद भी है. 
 
घर के दरवाजे पे हर दिन दादी माँ सोनपापड़ी लिए मेरा रास्ता देखती। दादी! आपकी गोद में बैठते ही मैं तो थोड़े देर के लिए माँ को भूल ही जाती.

बचपन, किशोरावस्था और जवानी के कुछ साल भी मुझे कुछ पता नही था दुनिया में एक इंसान ये भी है.

लेकिन इसको जानने के बाद भी मैंने महसूस किया - मुझे जिंदगी आपने दी, जीना इसने सिखाया.

मुझे खड़ा आपने किया, चलना इसने सिखाया. हंसना आपने सिखाया, मुस्कुराना इसने सिखाया. बोलना आपने सिखाया पर मेरे बोलों में गीत इस ने डाले. देखना आपने सिखाया, पर दुनिया की रंगनीयत तो इसने दिखाया. आपमें मैंने भगवान् को देखा पर रब्ब के दर्शन तो इसने कराये.

लेकिन मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि आज भी'मेरी जिंदगी में पहले स्थान आपका है. मैं आपके उपकार कैसे भूल सकती हूँ. आप मना करेंगे तो मैं इसकी जीवनसंगिनी नहीं बनूंगी. वो दूसरी जाति का है. और आपको इसी बात से समस्या है. लेकिन ना तो मैं, ना आप और ना खुद वो अपनी जाति बदल सकते हैँ."

बगल में खड़ा वो लड़का उसकी बात सुन रहा था. उसके पास भी कहने को बहुत कुछ था. लेकिन वो चुप था. दो मिनट कि शांति के बाद वो जाने लगा. ये सोचता रहा काश कि मैं अपना सरनेम बदल सकता.

घर के बाहर वो अपनी गाड़ी में जैसे ही बैठा लड़की के भैया ने हाथ के इशारे से उसे रोका. वो उनके पास गया.

"सॉरी," उसका हाथ पकड़ के वो बोले, "जैसे ही दिन बने बारात ले के आ जाओ." 

 



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