Tuesday 16 September 2014

हम मिलते रहेंगे 'जेहाद' करने के लिए.....

चलो हम आज एक वादा करते हैं 
हम मिलते रहेंगे, 'जेहाद' करने के लिए..... 

कभी मंदिर के पत्थरों के सामने 
कभी मस्जिद के चबूतरों पे बैठ के 
कभी मदरसों के प्रांगण में 
कभी आश्रमों के पेड़ों के चारों तरफ 

चलो हम आज एक वादा करते हैं 
हम मिलते रहेंगे 'जेहाद' करने के लिए.....

कभी तुम कुरान पढ़ के आना 
कभी मैं कुरान पढ़ के आऊंगा 
कभी गीता तुम पढ़ लेना 
हम मिलते रहेंगे 'जेहाद' करने के लिए..... 
कभी गीता मैं पढ़ लूंगा 

चलो हम आज एक वादा करते हैं 
हम मिलते रहेंगे 'जेहाद' करने के लिए.....
 

कभी कुरीतियों के कुओं के पार 
कभी (सामाजिक) खामियों की खाइयों के पार 
कभी धार्मिक बंधनों को बेकार कर के 
कभी 'ठेकेदारों ' के डर  को दरकिनार कर के

चलो हम आज एक वादा करते हैं 
हम मिलते रहेंगे 'जेहाद' करने के लिए..... 

कभी उत्तर प्रदेश की गलियों में 
कभी पंजाब की पगडंडियों पे 
कभी महाराष्ट्र के पार्कों में 
कभी राजस्थान के महलों में  

चलो हम आज एक वादा करते हैं 
हम मिलते रहेंगे 'जेहाद' करने के लिए.....