“ये चैट ने जिंदगी को कितना नीरस बना दिया है. सारे इमोशंस मेकेनाइज़ड लगते हैं. सब की राइटिंग एक ही जैसी होती है. मैं आपसे बात करूँ, भैया
से बात करूँ या भाभी से बात करूँ ऐसा लगता है सब एक जैसे ही लिखते हैं."
"भैया के
स्माइली और आपके स्माइली में कोई अंतर नही दीखता, भाभी के दिल में और आपके दिल में
कोई फर्क ही नहीं जान पड़ता. चैट से न तो आग लगती, दिल में; न ही ठंडक मिलती है, रूह को. मैं अबसे
आपसे कभी चैट नही करूंगी. अभी ब्लौक कर देती हूँ आपको.”
“तो फिर हम कैसे बात
करेंगे? मैं अपनी नौकरी पे हूँ तुम अपने कोलेज में हो?”
“आप मुझे चिठ्ठी लिखेंगे
अब. अपने आड़े-तीरछे अक्षर में. कुछ अधूरे वाक्यों में, कुछ छोटे कुछ बड़े शब्दों में.
आधे पन्ने में आप लिखेंगे और मुझे भेज देंगे. बाकी आधे पन्ने पे मैं लिख के आपको
लौटा दूंगी.”
“लेकिन तुमको याद है मैंने
जब पहली बार तुमको चिठ्ठी दी थे तुमने कैसे जवाब दिया था. ‘अपनी राइटिंग देखी है.
दो लाइन अंग्रेजी तो ठीक से लिख नही पाते और चले हो प्यार करने.’ और मेरा लेटर
वापस कर दिया था तानों से भरे एक बैग के साथ.”
“हाँ याद मुझे तो याद है. लेकिन
आपको ये कहाँ याद है कि उसके बाद मेरे नंबर कभी आपसे ज्यादा नहीं आये अंग्रेजी
में.”
“लेकिन मैं अब हिन्दी में
ही लेटर भेजूंगा. मंजूर है न?”
“हे भगवान! आप भोजपुरी में
ही भेजिए. बस भेजिए. सब कुबूल है. तीन बार बोलूं या समझ आ गया?”
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