तु कितनी प्यारी है हिंदी बिल्कुल मेरी माँ तरह
जब मैं बच्चा था तुझे कितना परेशान किया करता था
तोतलाता था मै रोटी 'लोटी' बोलता अरे को अले बोलता
तुझे कितना तोड़ता था कितना मरोरता था
लेकिन अपने से कभी दूर नही किया
आँचलमें सुलाया शब्दों से सहलाया
मुझे बोलना सिखाया मुझे माँ कहना सिखाया
कैसे न कहूँ तू माँ है मेरी …………………
बड़ा हो के जब मै स्कूल आया अंग्रेजी कुल लगने लगी
तू कभी मजबूरी कभी फ़िज़ूल लगने लगी
लेकिन उस समय भी जरुरत पड़ी गले तुमने ही लगाया था
मैथ्स, साइंस,अंग्रेजी में फेल होते होते बचे
९५ फीसदी अंक एक तूने हो तो दिलवाया था.……………………
कॉलेज के दिनों तू दिल के और करीब आई
जब प्यार ने मेरे दिल में ली पहली अंगड़ाई
चाँद, तारे, हवाएं, शीतलता और शहनाई ये शब्द तूने ही तो बनाई
इन्हीं के बदौलत ही तो मेरी महबूबा मेरे करीब आई ………………….
आज
नमन है तुझे हिंदी जो बचपन में मुझे खेलाया
किशोरावस्था में पढ़ाया और जवानी में प्यार सिखाया
नमन है हिंदी को जिसने मुझे मेरा नाम दिया
जिसने मुझे आर्यावर्त्त दिया जिसे मुझे हिन्दुस्तान दिया
No comments:
Post a Comment