लड़का…………………….
बहुत मजबूत था पर तेरी बाँहों में टूटना चाहता था
बहुत जिद्दी था पर तेरी जिद्द के आगे झुकना चाहता था
जागते रहने की आदत थी लेकिन तेरी पहलू में सोना चाहता था
डर लगता था मोहब्बत से लेकिन तेरे साथ ही जीना चाहता था
चाहा था तुझे दिल में छुपा लूँ, तू दर्द बन के निकल गयी
चाहा था तुझे आँखों में बसा लूँ, तू आंसू बन के गिर गयी
चाहा था तुझे होठों पे सजा लूँ, तू बस आह भर रह गयी
चाहा था तुझे मुट्ठियों में भिंच लूँ, तू पानी की तरह सरक गयी
तू रहती कहाँ है अब मेरी मोहब्बत जरा फिर से अपना पता दे
इस बार रब से तुझे मांग लूँ.…….माँ पापा से माँगा तो मुझे ही मार डाला
लड़की
खुदा से सवाल किया क्यों लोगों ने इतना बवाल किया
हाँ मैं बेटी थी उनकी बहन थी उनकी
लेकिन पहले एक लड़की थी मै बाद में बहन बेटी
हाँ उन्होंने मुझे जिन्दगी थी पर जीना तो उसने सिखाया था
माँ पापा मुझे जिन्दगी जीने की सजा दे दी
भगवान् के पास ही भेज दिया
कैसे रहोगी माँ अब किसे बेटा कह के बुलओगी
बगल की लड़की चाची कहेगी माँ तो नही
पर अब भी मै भगवान् से प्रार्थना करती हूँ
अगले जनम तेरी ही बेटी बनूँ
जब तुम मुझे अपनी बेटी मनो बगल की नही
कर ली मुहब्बत इस जनम में तो जान ले ली मेरी
उस जनम में तुम खुद से विदा करना
मुझे जिन्दगी जीने की सज़ा मत देना
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